किन्नर से प्यार भाग - 7




कहानी _ **किन्नर का प्यार **

भाग _7

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

जब राहुल जाने को तैयार हुआ ।उसके पापा ने एक ऑटो मंगा दिया स्टेशनg जाने के लिए।उसकी मां बहुत उदास थी।बेटे के बाहर जाने की वजह से । पिता बहुत मुश्किल से खुद को संभाले हुए थे
भाई बहन बड़े भैया के बाहर जाने की वजह से बेहद उदास थे।
आप सब इस तरह मुंह क्यों उदास क्यों हो गए हैं।मैं हमेशा के लिए दिल्ली नही जा रहा हूं।तीन चार साल की बात है।ऊपर से छुट्टी मिलने पर घर तो आता जाता हो रहूंगा।
राहुल ने सबको उदास देखकर कहा।
अरे तुम्हारी दोस्त कहा चली गई।इसकी मां ने आश्चर्य करते हुए पुछा
अभी तो यही थी तुमको कितनी मेहनत से तैयार कर रही थी।
सबको बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि वो राहुल को बिदा करने हो आई थी।लेकिन जब वो जाने को तैयार है ट्रेन का समय हो गया है।
उसकी मां उसे पूरे घर में खोज ली। अंत में सुनंदा रसोई घर में मिली।उसको आंखो मे आंसू था ।वो रो रही थी।
अरे तुम यहां हो बेटी मैं तुम्हे कहा कहा खोज रही थी।जल्दी चलो राहुल को देर हो रही है।
राहुल की मां प्रज्ञा देवी में कहा।
मैं नही जाऊंगी आंटी ।मुझसे देखा नही जायेगा। सुनंदा ने कहा।
प्रज्ञा देवी आश्चर्य से उसे देखती रह गई।बड़ी विचित्र लड़की है।अभी तो दौड़ दौड़ कर उसे तैयार कर रही थी। सबके लिए चाय नाश्ता और खाना बना रही थी।लेकिन अब उससे मिलना नही चाहती है।
प्रज्ञा देवी ने सबको आकर बता दिया।सुनंदा रसोई घर में अकेले रो रही है।नही आ रही है।
राहुल को कुछ समझ में नही आ रहा था क्या करे। अब उसे देर भी हो रही थी।
उसकी मां को उसकी असमंजस की स्थिति समझ में आ रही थी।वो हिचकिचा रहा था।yy
तुम्हारी दोस्त है बेटा जाओ उसे मनाकर ले आओ।
अपनी मां की बात सुनकर राहुल रसोई घर में चला गया।
क्या हुआ सुनंदा तुम मुझसे मिलने क्यों नही आई। अरे तुम तो रो रही हो।
राहुल को देखते ही वो उसके सीने से लग कर रोने लगी।
तुम तो चले जाओगे लेकिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी।इसलिए रोना आ रहा है।
सुनंदा ने रोते हुए कहा।
तुम भी हद करती हो। यहां मेरे घर के सारे लोग है ऐसा करोगी तो सब हमारे बारे में क्या सोचेंगे।चलो अब रोना बंद करो।उसने उसके आंखो से बह रहे आंसुओ को अपनी रूमाल से पोंछते हुए कहा 
नही मैं नही जाऊंगी तुम जाओ राहुल।तुमको जाते देख मुझसे बर्दास्त नही होगा।t
मेरा दिल चाहता है तुम्हे कही नही जाने दूं।लेकिन मजबूरी है क्या करूं। सुनंदा ने रोते हुए कहा।
इतनी कमजोर लड़की तो तुम नही हो ।इतनी सी जुदाई सहन नहीं कर सकती।फिर फोन पर तो बात चीत होते रहेगी। अब चलो वर्ना तुम मेरी ट्रेन छुड़वा दोगी।
राहुल ने उसे समझाते हुए कहा।
तुम मेरी चिंता छोड़ो और जाओ। सुनंदा ने उसे धक्का देते हुए कहा।
उसका ऐसा हाल देखकर राहुल की आंखे भी भींग गई।
लेकिन खुद को संभालते हुए कहा देखो तुम अब मुझे कमजोर कर रही हो।मुझे हंसते मुस्कुराते हुए बिदा करो आखिर मैं जिंदगी को संवारने के सफर में जा रहा हूं।
मुझसे झूठ मूठ का मुस्कुराने नही आता है ।अब जाओ वरना ट्रेन छूट जायेगी ।बस इतना वादा करके जाओ दिल्ली जाकर मेरा दिल न तोड़ देना।मुझे भूल न जाना ।किसी दिल्ली वाली से दिल न लगा लेना वर्ना मैं जीते जी मर जाऊंगी।
क्या पागल जैसी बाते कर रही हो ।में तुम्हारा हूं और तुम्हारा ही रहूंगा। अब चलो मेरा वादा है तुम्हारा दिल कभी नही तोडूंगा।
राहुल ने कहा।
बाहर काफी देर होने पर उसके पापा ने उसकी मम्मी से कहा अरे जाकर देखो क्यों देर हो रही है।ट्रेन के आने का समय हो रहा है।
जी अभी देखती हूं।
प्रज्ञा देवी जैसे ही रसोई घर के दरवाजे पर पहुंची अंदर राहुल और सुनंदा को एक दूसरे के गले लगे देखकर उन्होंने अपने दांतों तले अंगुली दबा लिया।
वो दबे पाव थोड़ा बाहर आई और बाहर से आवाज दिया बेटा राहुल जल्दी सुनंदा को लेकर आओ देर हो रही है।
अपनी मां की आवाज सुनकर राहुल सजग हो गया ।बड़ी मुश्किल से वो उसे चुप कराकर बाहर लाया।
सुनंदा बहुत ही उदास दिख रही थी।वो चुपचाप आकर ऑटो के पास खड़ी हो गई ।खुद ही राहुल का सारा सामान उठाकर ऑटो में रख दिया।
बेटा समय पर खाना पीना खाते रहना।अपना ख्याल रखना उसकी मां ने कहा।
और हा फोन करते रहना।उसके पापा ने कहा ।
भईया जल्दी से ऑफिसर बनकर आना इसके भाई ने कहा ।
लेकिन सुनंदा कुछ बोल ही नहीं रही थी ।सबसे छिपाकर आंसू बहाए जा रही थी।
राहुल का बड़ा बुरा हाल था ।अपने माता पिता के सामने वो कुछ कह भी नही पा रहा था ।लेकिन सुनंदा थी की बस रोए जा रही थी।
थोड़ी देर में राहुल अपने माता पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया।अपने भाई बहन को आशीर्वाद दीया और चला गया।
सुनंदा चुपचाप बैठक खाने में एक कुर्सी पर बैठ गई।
प्रज्ञा देवी ने एक गिलास पानी लाकर उसे दिया और कहा लो पानी पियो और मेरे हाथ की चाय पीकर जाना ।बहुत प्यारी लड़की हो ।उदास मत हो ।
मैं खुद राहुल से बोलूंगी तुमसे फोन पर बात कर लिया करे।

शेष अगले भाग _ 8 में

लेखक _श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड




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1 Comments

Mohammed urooj khan

04-Nov-2023 12:37 PM

👍👍👍👍

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